“मेरा नाम मुहम्मद ज़ाहिद है मैं एक मुसलमान हूँ”, जैसे देश में मुसलामानों को भीड़ मार रही आप भी मुझे मार डालेंगे”...

दो चार दिन पहले मैं दिल्ली गया था, वापसी का टिकट जिस ट्रेन से कराई वह न्यू दिल्ली-वाराणसी सुपर फास्ट एक्सप्रेस थी जिसका नई दिल्ली से डिपार्चर रात के 10:25 पर था पर मेरे दिमाग में नईदिल्ली-इलाहाबाद दुरंतो एक्सप्रेस का डिपार्चर टाइम रात्रि 10:40 दिमाग़ में घुस गया।

दोपहर बाद अपने मित्रों के साथ बैठकी की और उनके बार बार ट्रेन का टाईम पूछने पर मैंने समय रात्रि के 10:40 ही बताया। सभी दोस्त रात्रि के 9 बजे हज़रत निज़ामुद्दीन स्थिति मशहूर होटल “करीम” डिनर के लिए ले गये और वहाँ से रात्रि के 10 बजे निकल कर 10:20 मिनट पर नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पहाड़ गंज साइड छोड़ दिये, और फिर सबको अल्लाह हाफिज़ बोल कर मैं भी स्टेशन की तरफ चल पड़ा। टाइम टेबल पर ट्रेन का शिड्यूल और प्लेटफार्म देखने की कोशिश की जो नहीं दिखा, सोचा किसी कुली से पूछ लूँगा और आगे बढ़ गया। रेलवे प्लेटफार्म नं-1 के पुल से आगे बढ़ते हुए मैं प्लेटफार्म नंबर 5-6 वाली जगह पहुँचा तो एक कुली आते दिखा, मैने कनफर्म करने के लिए उससे पूछा कि नई दिल्ली-वाराणसी सुपरफास्ट एक्सप्रेस जो 10:40 से जाती है वह किस नंबर प्लेटफार्म से जाएगी। उसने कहा कि बाबू 10:40 नहीं 10:25, जल्दी कीजिए, प्लेटफार्म नंबर 13 पर पहुँचिए, कहीं चली ना गयी हो। 10:25 हो गया था मैंने अपनी पूरी शक्ति से दौड़ लगा दी, किसी तरह तरह दौड़ते भागते प्लेटफार्म नंबर 13 पर पहुँचा कि ट्रेन चल चुकि थी, पीछे के जनरल कोच और गार्ड कोच उस सीढ़ी से गुज़र रहे थे, मैंने सोचा और दौड़ लगा कर अपने एसी कोच तक पहुँच जाऊँ और दौड़ ही रहा था पर मैं गलत था ट्रेन ने स्पीड बढ़ा दी, मैं समझ चुका था कि मैंने गलती कर दी, इस स्पीड में ट्रेन पकड़ना खतरनाक था। पीछे पुलिस कोच में एक पुलिस वाले ने हाथ दिया और मैं उसे दौड़ते हुए पकड़ने वाला ही था कि एक भीड़ चीखते देखा जो एक लड़के को दौड़ा रही थी, वह लड़का पीछे देखता हुआ दौड़ते दौड़ते मुझसे टकराया और हम दोनों प्लेटफार्म पर गिरे। उसके हाथ से कुछ गिरा, मैं गिर कर रेल लाइन तक जाने वाला ही था कि एक तो ट्रेन गुज़र गयी दूसरे तब तक भीड़ ने आकर मुझे रेलवे लाइन पर गिरने से रोक लिया। खैर, मेरी किस्मत थी कि ट्रेन रुक गयी, शायद किसी ने चैन पुलिंग कर दी, और मैं कैसी तरह लंगड़ाते हुए अपनी सीट तक पहुँचा और बैठा, ट्रेन 5-7 मिनट में चली ही थी कि एक 18-20 साल की लड़की रोते हुए मेरी सीट पर आई और बोली भईया आप देवता हैं मेरे लिए, मैं हैरान कि ऐसा क्युँ बोल रही है? मैंने आश्चर्य से पूछा कि मैंने तो ऐसा कुछ नहीं किया? वह बोल पड़ी कि भैया आपने उस लड़के को गिरा दिया जो मेरा “ओप्पो” फोन छीन कर भाग रहा था, फोन में मेरे बहुत ज़रूरी डाटा था जो चला जाता तो मुझे बहुत नुकसान होता, वह कहती जा रही थी रोती जा रही थी। मुझे दर्द थी तो मैंने अधिक बहस नहीं की, वो लड़की और उसके साथ के 8-10 लोग मुझे घेर कर मुझे शुक्रिया अदा कर रहे थे, मैं बिलकुल चुप था कि यह लोग जाएँ तो मैं अपनी लगी चोट को सहलाऊँ, पर तब तक 3-4 पुलिस वाले भी आ गये। मेरी सीट के पास अच्छी खासी भीड़ हो गयी, 10-12 वह लोग और फिर मेरे कोच के तमाम लोग, सब लोग मुझे उस काम का धन्यवाद दे रहे थे जो मैंने जानबूझकर किया ही नहीं। पुलिस ने मेरा नाम पूछा तो मैं चुप रहा, दो तीन बार फिर पूछा तो मैंने कहा कि क्या करेंगे मेरा नाम जानकर? कोच में उपस्थित भीड़ से किसी ने कहा कि “बता दीजिए”, मेरे दिल दिमाग़ पर वही भीड़ हावी थी जिसने बेकसूर अखलाक से असगर तक को मारा था। ऐसी ही भीड़ को मैं अपने आस पास महसूस कर रहा था। मैंने कहा कि “मेरा नाम जानकार आप सब मुझे मार डालेंगे” सब और सन्नाटा कि ये ऐसे क्युँ बोल रहा है, मैंने फिर कहा “मेरा नाम मुहम्मद ज़ाहिद है मैं एक मुसलमान हूँ”, जैसे देश में मुसलामानों को भीड़ मार रही आप भी मुझे मार डालेंगे” आप विश्वास कीजिए सबके चेहरे पर सन्नाटा, सब झगझोरे जा चुके थे, सबने एक दूसरे को देखा और मुझसे झगझोरे जाने के बाद एक एक करके शायद एक गुनहगार की तरह सर झुकाए अपनी अपनी सीट पर चले गये, वह लड़की भी, उसे शायद फोन मिल जाने की खुशी थी जो मेरे झगझोरे जाने के कारण जा चुकी थी। मुझे जहाँ भी मौका मिलता है मैं झगझोरने से चूँकता नहीं हूँ क्युँकि मैं मुहम्मद ज़ाहिद हूँ………… -मुहम्मद ज़ाहिद  मुहम्मद ज़ाहिद (मोहम्मद जाहिद मीडिया एक्टिविस्ट हैं, इनकी लेखनी बेबाक है। मुहम्मद ज़ाहिद फेसबुक यूज़र हैं। मुहम्मद ज़ाहिद की एक वेबसाइट भी है जिसका नाम www.mohdzahid.com है। यह लेख उनकी फेसबुक की टाइम लाइन से लिया गया है। इस लेख के विचार पूर्णत: निजी हैं, इस लेख को लेकर अथवा इससे असहमति के विचारों का भी myzavia.com स्‍वागत करता है । इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है। ब्‍लॉग पोस्‍ट के साथ अपना संक्षिप्‍त परिचय और फोटो भी myzavia.com@gmail.com भेजें।)





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